बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र
प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
उत्तर -
गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा
गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा वह शिक्षा है जिसके प्राप्त हो जाने पर छात्र को विशेष कौशल का ज्ञान प्राप्त हो जाता है अर्थात् छात्र शिल्प आधारित शिक्षा द्वारा अपने कौशल को और अधिक विकसित कर लेता है। शिल्प आधारित शिक्षा से छात्रों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।
इस प्रकार की शिक्षा में निम्नलिखित शिक्षा को प्रदान किया जाता है -
(1) शिल्प आधारित शिक्षा के अन्तर्गत काष्ठ कला की शिक्षा प्रदान की जाती है।
(2) कताई, बुनाई की शिक्षा दी जाती है।
(3) चर्म कार्य तथा पुस्तक कला की शिक्षा दी जाती है।
(4) मछली पालन एवं गृह विज्ञान की शिक्षा भी शिल्प आधारित शिक्षा के अन्तर्गत प्रदान की जाती है।
(5) मिट्टी का कार्य और सजावट की शिक्षा भी दी जाती है।
(6) बागवानी तथा कृषि आदि के शिक्षा से भी परिपूर्ण किया जाता है।
(7) कला-कौशल तथा साज-सज्जा की भी शिक्षा प्रदान की जाती है।
इस प्रकार की शिक्षा छात्र को इस योग्य बना देती है कि वह विशेष कला-कौशल के माध्यम से अपनी रोजी-रोटी आसानी से चला लेता है अर्थात् अपने जीविकोपार्जन के साधन ढूँढ़ लेता है और समाज में अपना उचित व अच्छा स्थान भी बना लेता है। वर्तमान युग में अर्थात् आधुनिक समय में अधिकतर छात्र इसी शिक्षा को पसन्द करते हैं। इसलिए आज के युग में शिल्पकेन्द्रित शिक्षा का विशेष महत्व है। इसलिए गाँधी जी ने भी शिल्प आधारित शिक्षा का विशेष रूप से प्रसार किया है। उनके अनुसार शिल्प आधारित शिक्षा छात्रों को अपना सर्वोमुखी विकास करने के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता
(Need of Craft Centred Education)
शिल्प केन्द्रित शिक्षा का प्रतिपादन गाँधी जी द्वारा किया गया। शिल्पा केन्द्रित शिक्षा वह शिक्षा है, जिसके प्राप्त हो जाने पर छात्र को विशेष कौशल का ज्ञान हो जाता है।
वर्तमान में शिल्प केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता काफी बढ़ गयी हैं। वर्तमान समय में देश की जनसंख्या में काफी वृद्धि हुयी है, जितनी की पहले न थी। इस बढ़ती हुयी जनसंख्या के कारण देश में बड़ी मात्रा में बेरोजगारी व्याप्त हो गयी है। शिल्प केन्द्रित शिक्षा के अन्तर्गत कताई, बुनाई, बागवानी, कृषि, काष्ठ कला, चर्म कार्य, पुस्तक कला, मिट्टी का कार्य, मछली पालन व गृह विज्ञान आदि को शामिल किया जाता है। यह शिक्षा छात्र को इस योग्य बना देती है कि वह विशेष कला-कौशल के माध्यम से अपनी जीविका आसानी से चला लेता है तथा समाज में अपना अच्छा स्थान भी बना लेता है। इस प्रकार यह शिक्षा व्यक्ति को रोजगार देकर व्यस्त रख सकती है तथा बेरोजगारी से उत्पन्न समस्याओं का समाधान करके उसकी जीविका चलाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
इसके अतिरिक्त यह भी कारण है आज कि के युग में शिल्प के महत्व में काफी वृद्धि हुयी है। विदेशी व्यापार में वृद्धि होने के कारण शिल्प आधारित उत्पादों की माँग में काफी वृद्धि हुयी है तथा शिल्प विदेशी मुद्रा-प्राप्ति का साधन बन चुका है। अतः शिल्प केन्द्रित शिक्षा की वर्तमान में अत्याधिक आवश्यकता है।
गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा भी वर्तमान प्रासंगिकता
गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा की वर्तमान प्रासंगिकता काफी बढ़ गयी है। वर्तमान समय की अपेक्षा पहले जनसंख्या काफी कम थी तब शिक्षा का शिल्प आधारित होना आवश्यक न था। वर्तमान समय में देश की जनसंख्या काफी बढ़ चुकी है। जिसके कारण आज अधिकांश जनसंख्या बेरोजगार है। इस स्थिति में शिल्प आधारित शिक्षा उसे रोजगार देकर व्यस्त रख सकती है तथा बेरोजगारी से उत्पन्न समस्याओं का समाधान कर सकती है। इसके अतिरिक्त यह भी कारण है कि आज के युग में शिल्प के महत्व में काफी अधिक वृद्धि हुयी है। विदेशी व्यापार में वृद्धि होने के कारण शिल्प आधारित उत्पादों की माँग में वृद्धि हुयी है तथा शिल्प विदेशी मुद्रा प्राप्ति का साधन बन चुका है। अतः शिल्प आधारित शिक्षा की वर्तमान अत्यधिक प्रासंगिकता है।
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- प्रश्न- शिक्षा के संकुचित तथा व्यापक अर्थों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा की परिभाषा देते हुए इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए। शिक्षा तथा साक्षरता एवं अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है?
- प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
- प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए - (i) तत्व-मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
- प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये |
- प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
- प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
- प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक की भूमिका को समझाइए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है?
- प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
- प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों?
- प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्त्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
- प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं? लिखिए।
- प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन का क्या अभिप्राय है? बताइए।
- प्रश्न- जाति भेदभाव को खत्म करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर की शिक्षा दर्शन की शिक्षण विधियाँ क्या हैं? बताइए। शिक्षक व शिक्षार्थी सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं?
- प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक शिक्षण विधियों एवं पाठ्यक्रम के निर्धारण में जॉन डीवी के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बहुलवाद से क्या तात्पर्य है? राज्य के विषय में बहुलवादियों के क्या विचार हैं?
- प्रश्न- बहुलवाद और बहुलसंस्कृतिवाद का क्या आशय है?
- प्रश्न- बहुलवाद, बहुलवादी शिक्षा से आपका क्या आशय है? इसकी विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की प्रक्रिया को बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में जाति, वर्ग एवं लिंग की भूमिका बताइए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं? विद्यालय संगठन का अर्थ, उद्देश्य एवं इसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन की परिभाषाए देते हुए विद्यालय संगठन की विशेषताओं का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन एवं शैक्षिक प्रशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? इनसे सम्बन्धित धारणाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए |
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में विद्यालय की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रारूप बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा इनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'अधिकार तथा कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निदेशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निदेशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका को विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं? सतत् विकास में शिक्षा की अवधारणा और उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सहस्राब्दी विकास लक्ष्य मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स का निर्धारण कौन-सा संस्थान करता है?
- प्रश्न- एमडीजी और एसडीजी के मध्य अन्तर बताइए।
- प्रश्न- ज्ञान अर्थव्यवस्था की राह पर विकास के संकेतक के रूप में शिक्षा को संक्षेप में बताइए। ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्व को भी बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् शिक्षा के प्रमुख अभिकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (MDGs) व सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या है? बताइए।